Skip to main content

विरोध प्रदर्शनों पर प्रहार करता भारतीय सरकारी तंत्र

सरकार बुनियादी आज़ादी को कुचल रही है; राजनीतिक रंग में चढ़े संस्थानों को खुली छूट

दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन में शामिल लोग, भारत, 29 जनवरी, 2021.   © 2021 एपी फोटो/मनीष स्वरूप

भारत की नरेंद्र मोदी सरकार अपने हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे पर आगे बढ़ते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े अधिकारों को खतरनाक ढंग से पीछे धकेल रही है.

भेदभावपूर्ण नागरिकता नीतियों का विरोध करने या लंबे समय से हाशिये पर रहे दलित और आदिवासी समुदायों की सुरक्षा के लिए आवाज़ बुलंद करने वाले शांतिपूर्ण कार्यकर्ता पहले से ही राजनीति से प्रेरित आरोपों का सामना कर रहे हैं. और अब नवंबर से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों, जिनमें अनेकानेक सिख हैं, को विवादास्पद नए कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए  आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. सरकार ने कार्यकर्ताओं पर उकसाने वाली कार्रवाई करने के आधारहीन आरोप लगाए हैं. कई पत्रकारों और वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं को आधारहीन आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने एक मृतक प्रदर्शनकारी के परिजनों के इस दावे को प्रचारित-प्रसारित किया कि उसकी मौत संभवतः पुलिस की गोली लगने से हुई.

अधिकाधिक रूप से, मोदी के भारत में जांच और अभियोजन सहित अन्य कार्यों से जुड़ी स्वतंत्र संस्थाएं, और अदालतें जिन्हें निष्पक्ष रूप से अधिकारों का बचाव करना चाहिए, ऐसा करने के बजाय वे सरकार समर्थकों को सुरक्षा प्रदान कर रही हैं और सरकार की आलोचना करने वालों को निशाना बना रही हैं.

भाजपा नेताओं ने सरकार परस्त न्यूज़ एंकर की गिरफ्तारी की तुरंत आगे बढ़कर आलोचना की थी. अदालतों ने भी हस्तक्षेप किया और “चुनिंदा नागरिक उत्पीड़न” के लिए आपराधिक कानून के इस्तेमाल पर चेतावनी दी. लेकिन इसी सरकारी तंत्र ने उत्तर प्रदेश में एक दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की रिपोर्टिंग के लिए जाते वक़्त गिरफ्तार किए गए पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत का विरोध किया.

अदालतों ने अमेज़न प्राइम ड्रामा सीरीज़ तांडव के निर्माताओं को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से भी इंकार कर दिया जब छह अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने इन शिकायतों के आधार पर जांच शुरू कर दी कि इस सीरीज़ से हिंदू धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं. एक अन्य टीवी ड्रामा, ए सूटेबल बॉय से भी गुस्सा भड़का जिसे मध्य प्रदेश के एक भाजपा मंत्री ने हवा दी, जिन्होंने शो की “बेहद आपत्तिजनक अंतर्वस्तु” की जांच का आदेश दिया. इस ड्रामा में दो अलग धर्मों के एक जोड़ा का मंदिर में चुंबन दृश्य है.

इस बीच, स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी और उनके पांच साथियों को तब गिरफ्तार कर लिया गया जब एक भाजपा समर्थक ने यह शिकायत दर्ज कराई कि उनके व्यवहार से हिंदू देवी-देवताओं का अपमान हुआ है. एक अन्य कॉमेडियन, कुणाल कामरा ने अपने खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “हम कैदी कलाकारों और सजावटी मोहरों के देश में तब्दील कर दिए जाएंगे यदि शक्तिसंपन्न लोग और संस्थाएं निंदा या आलोचना सहन करने में असमर्थता दिखाना जारी रखते हैं.”

भारतीय सरकारी तंत्र देश के लोकतंत्र और बहुलतावाद पर गर्व करना पसंद करता है. लेकिन अक्सर उनकी कार्रवाइयां उनके शब्दों को झुठलाती हैं.

Your tax deductible gift can help stop human rights violations and save lives around the world.

Region / Country